Baba Mahendra Nath (Mahen) 4.19

Village & Post - Mahen
Deoria, 274003
India

About Baba Mahendra Nath (Mahen)

Baba Mahendra Nath (Mahen) Baba Mahendra Nath (Mahen) is a well known place listed as Religious Center in Deoria ,

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रुद्रपुर व बरहज क्षेत्र के बीच में बसे महेन गांव स्थित बाबा महेन्द्रानाथ के दर्शन व उनके आशीर्वाद से श्रद्धालु आकाल मृत्यु आदि से भय मुक्त हो जाते है | यह लोगो की मान्यता है । मंदिर के भू- गर्भ में विराजमान शिवलिंग जमीन से निकला है और अर्ध नारीश्वर के रूप में है | बाबा महेन्द्रानाथ का प्राकट्य व गावं से सटे बहने वाली राप्ती नदी इसी गावं के ब्राह्मण कुलीन लक्ष्मी नारायण यानि ख्यातिलब्ध्य सिध्या पुरुष पौहारी महाराज के जीवनबृत व आत्मकथा से जुडी है |श्रावण मॉस में कांवरिए बरहज के सरजू तट से जल भरकर सर्वप्रथम बाबा महीन्द्रनाथ का जलाभिषेक करते है । उसके बाद ही आगे बढ़ते है या यही पूर्णाहुति करते है । किवंदिति है की सैकड़ो वर्ष पूर्व यह क्षेत्र जंगल था |
महेन गावं में ब्राह्मण कुल में जन्मे लक्ष्मी नारायण दास ( जो बाद में पौहरी महाराज - प्रथम के नाम से सुबिख्यात हुए ) बचपन से ही गावं के निकट बहने वाली राप्ती नदी में स्नान कर मंदिर परिसर में विशाल एक पीपल के बृक्ष के निचे भगवन शिव के आराधना करते थे | लोग बताते है की वह महाकाल भोले शंकर अर्धनारीश्वर स्वरुप में विराजमान होकर उन्हें ज्ञानोपदेश देते थे और उक्त स्थल की रखवाली शेर करता था । लक्ष्मी नारायण दास के साधू प्रवृति को देख कर उनके माता-पिता उनका विवाह कर गृहस्थ जीवन में बांधने की कोशिश की परन्तु शादी के बाद भी उनकी दिनचर्या नहीं बदली | पति का भोर में घर से निकलना और देर शाम घर वापस आना पत्नी को खटकने लगा । एक दिन वह उनकी साधना स्थली पर पहुंच गई । वह भगवन शिव लक्ष्मी नारायण दस को उपदेश दे रहे थे । उनकी पत्नी की मौजदगी से उपदेश में बिघ्न पड़ गया और भगवान शिव वही जड़ हो गए । तब से उक्त स्थान को महेन्द्रनाथ का वास के रूप में ख्याति मिली । पौहरी महाराज के ज्ञान बोध स्थल महेन्द्रनाथ मंदिर का करीब सौ साल पहले महाराष्ट्र के मद्रासी बाबा ने पत्थरो से निर्माण कराया था लेकिन १९६७ में आये तूफ़ान में उक्त पीपल के बृक्ष के साथ ही मंदिर धवस्त हो गया |