Baba Baidyanath Dham Deoghar बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर 6.09

Indian Post GPO B.Deoghar, Williams Town,
Deoghar, 814112
India

About Baba Baidyanath Dham Deoghar बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर

Baba Baidyanath Dham Deoghar बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर Baba Baidyanath Dham Deoghar बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर is a well known place listed as Church/religious Organization in Deoghar ,

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देवघर। झारखण्ड के देवघर जिला स्थित द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम में जो कांवडी़या जलाभिषेक करने आते हैं वे बासुकीनाथ मंदिर में भी जलाभिषेक करना नहीं भूलते।

मान्यता है कि जब तक बासुकीनाथ मंदिर में जलाभिषेक नहीं किया जाता तब तक बाबा बैद्यनाथ धाम की पूजा अधूरी रहती है। बासुकीनाथ मंदिर, बाबा बैद्यनाथ धाम से करीब 42 किलोमीटर दूर दुमका जिले में स्थित है। बाबा बैद्यनाथ मंदिर स्थित कामना लिंग पर जलाभिषेक करने आए कांवडी़ये अपनी पूजा को पूर्ण करने के लिए बासुकीनाथ मंदिर में जलभिषेक जरूर करते हैं। कांवडी़ये अपने कांव़ड में सुल्तानगंज में बहती गंगा नदी से जो दो पात्रों में जल लाते हैं उसमें से एक का जल बाबा बैद्यनाथ में चढ़ाते हैं तो दूसरे को बाबा बासुकीनाथ पर अर्पित करते हैं।

कामना लिंग पर जलाभिषेक के बाद कई कांवडी़ये तो पैदल ही बासुकीनाथ धाम पहुंचते हैं परंतु अधिकांश कांवडी़ये फिर वाहनों द्वारा यहां तक की यात्रा करते हैं।

किंवदंतियों के मुताबिक प्राचीन समय में बासुकी नाम का एक किसान जमीन पर हल चला रहा था तभी उसके हल का फाल किसी पत्थर के टुक़डे से टकरा गया और वहां दूध बहने लगा। इसे देखकर बासुकी भागने लगा तब आकाशवाणी हुई, “”तुम भागो नहीं मैं शिव हूं, मेरी पूजा करो।”" तभी से यहां पूजा होने लगी।

कहा जाता है कि उसी बासुकी के नाम पर इस मंदिर का नाम बासुकीनाथ धाम प़डा।

श्रद्धालुओं की मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ के दरबार में अगर दीवानी मुकदमों की सुनवाई होती है तो बासुकीनाथ में फौजदारी मुकदमे की सुनवाई होती है।

बासुकीनाथ मंदिर के पुजारी पंडित विजय झा के मुताबिक बासुकीनाथ में शिव का रूप नागेश का है। वह बताते हैं कि यहां पूजा में अन्य सामग्रियां तो चढ़ाई ही जाती हैं परंतु यहां दूध से पूजा करने का काफी महत्व है। मान्यता है कि नागेश के रूप के कारण दूध से पूजा करने से भगवान शिव शंकर खुश रहते हैं। वह कहते हैं कि शिव के गले में लिपटे नाग को भी दूध पसंद होता है। उन्होंने बताया कि वर्ष में यहां एक बार महारूद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है जिसमें काफी मात्रा में दूध चढ़ाया जाता है। उस दिन यहां दूध की नदी सी बह जाती है। वैसे इस रूद्राभिषेक में घी, मधु तथा दही का भी प्रयोग किया जाता है परंतु दूध ब़डी मात्रा में चढ़ाया जाता है। इस अनुष्ठान के समय भक्तों की भारी भी़ड इकट्ठी होती है। उन्होंने बताया कि बासुकीनाथ मंदिर में पूजा नहीं करने वालों की बाबा बैद्यनाथ धाम की पूजा अधूरी मानी जाती है। यही कारण है कि सावन में यहां श्रद्धालुओं की भारी भी़ड इकटी हो जाती है।

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