जिनशासन के प्राण त्राण आधार श्रुतज्ञान की विराट विरासत को हजारों सालो तक सुरक्षित रखने के मूल उदेश्य से प्रारंभित प्रवचन श्रुततीर्थ संस्था वर्तमान में उपलब्ध 50 हजार से अधिक धर्मग्रंथो को हाथ बनावट के कागज पर केमिकल फ्री स्याही से देशी कलम द्रारा सेंकडो लहीयों के हाथों से सुंदर अक्षरों से लिखाने का कार्य करवा रही है ।
प्रवचन श्रुततीर्थ के प्रांगण में निर्माणधीन राजभवन सदश श्रुतमंदिर में लहीया भवन, आगम महेल, 108 ईंच की उंचाईवाली श्रुत अधिष्ठात्री सरस्वती देवी की रमणीय मूर्ति का निर्माण होगा ।
जैनधर्म ग्रन्थों एवं अन्य धर्मग्रन्थों का विविध संस्थाओ द्रारा प्रकाशित साहित्य का विराट संग्रह ।
संस्कृत-प्राकृत-न्याय-व्याकरण-काव्य-कोश-छंद-साहित्य-जैनतत्वज्ञान-कर्मग्रन्थ वगेरे की अभ्यास करने की सुविधा, अध्यापन कराने के लिए विध्वान पंडितो की व्यवस्था संपन्न विध्यापीठ ।
प्रभु वीर से शुरु करके आज तक का पूरा इतिहास दर्शाती आर्टगेलेरी, जिस में श्रुत उत्पत्ति, श्रुत संग्रह, श्रुत संरक्षण, श्रुत लेखन, श्रुत संवर्धन का कार्य कैसे संपन्न हुआ, कैसे आगे बढा, श्रुतरक्षा हेतू तन-मन-धन समर्पित करनेवाले तेजस्वी पुण्य पुण्य पुरुषों की कीर्तिकथा की जीवंत रचना की जायेगी।
पू. साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविका चतुर्विध संघ के लिए पाठशाला ।
संशोधन प्रमीओं के लिए यथाशक्य सामग्री उपलब्ध की जायेगी।
PHD रीसर्च के लिए युनिवर्सिटी जैसी सुविधा की जायेगी।