भारत वर्ष के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है चिरोंल वाली माता मंदिर |
कलयुग की गंगा माँ बेतवा और वेस नदी के संगम पर स्तिथ चिरौल वाली माता मंदिर में माता गौरी के साथ पुत्र श्री गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है |
लगभग १०० वर्ष पुराने इस मंदिर की माता गौरी और गणेश जी की प्रतिमा यहाँ की गई खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी | इन प्रतिमाओं को चिरौल के पेड़ के नीचे स्थापित किया गया था, तब से माता का यह मंदिर चिरौल वाली माता मंदिर के नाम से प्रख्यात है | ऐसा कहा जाता है की वनवास के दौरान श्री राम जी और लक्ष्मण जी के साथ सीता माता यहाँ आई थी, तब माता सीता ने स्वयं यहाँ पूजन के लिए माता गौरी और श्री गणेश की प्रतिमाएं बनाई थी |
अपनी मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए यहाँ दूर-दूर से लोग आते है | मंदिर में चेत्र एवं शारदीये कालीन नवरात्री के दौरान भक्तों की भारी भीड़ रहती है |
मंदिर का संचालन माँ हिंगलाज ट्रस्ट द्वारा किया जाता है |